क्या है शिमला समझौता ?
- 1971 का भारत-पाक युद्ध के बाद भारत के शिमला में एक संधि पर हस्ताक्षर हुए। इसे शिमला समझौता कहते हैं।
- इसमें भारत की तरफ से इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की तरफ से ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो शामिल थे।
- यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच दिसम्बर 1971 में हुई लड़ाई के बाद किया गया था।
- जिसमें पाकिस्तान के 80000 से अधिक सैनिकों ने अपने लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के नेतृत्व में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान को बंगलादेश के रूप में पाकिस्तानी शासन से मुक्ति प्राप्त हुई थी।
समझौते के मुख्य बिंदु :
- दोनों देशों के विवाद में किसी भी अन्य देश की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
- सभी विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का प्रयास किया जाएगा।
- दोनों देशों के बीच संबंधों का संचालन संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के माध्यम से किया जाएगा।
- दोनों देश एक-दूसरे की राष्ट्रीय एकता, क्षेत्रीय अखंडता, राजनीतिक स्वतंत्रता और संप्रभुता का बराबर सम्मान करेंगे।
- विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- इस समझौते में भारत और पाकिस्तान के बीच यह भी तय हुआ था कि 17 दिसम्बर 1971 अर्थात् पाकिस्तानी सेनाओं के आत्मसमर्पण के बाद दोनों देशों की सेनायें जिस स्थिति में थीं, उस रेखा को ”वास्तविक नियंत्रण रेखा“ माना जाएगा और कोई भी पक्ष अपनी ओर से इस रेखा को बदलने या उसका उल्लंघन करने की कोशिश नहीं करेगा।
- लेकिन पाकिस्तान अपने इस वचन पर भी टिका नहीं रहा।
- और 1999 में कारगिल में पाकिस्तानी सेना ने जानबूझकर घुसपैठ की और इस कारण भारत को कारगिल में युद्ध लड़ना पड़ा।
प्रमुख प्रावधान
- अपने संघर्ष और विवाद समाप्त करने का प्रयास
- उप-महाद्वीप में स्थाई मित्रता के लिए कार्य
- विवादों और समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान
- सीधी बातचीत
- एकतरफा कार्यवाही पर रोक
- बल प्रयोग पर रोक
- प्रादेशिक अखण्डता का सम्मान
- राजनीतिक स्वतंत्रता हस्तक्षेप पर रोक
- आवागमन की सुविधाएं
- व्यापार और आर्थिक सहयोग शीघ्र स्थापित करना
- विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में आदान-प्रदान
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The E Nub & Nub Info
By Vishwajeet Singh
Nice
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